Madhepura:पसमांदा मुस्लिम समाज ने केन्द्र सरकार से भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर उप वर्गीकरण से संबंधित न्यायमूर्ति जी०रोहिणी कमिटी की रिपोर्ट को अविलम्ब लागू करने की मांग की है।पसमांदा मुस्लिम समाज के राष्ट्रीय संयोजक सह पीएमडीआर फॉन्डेशन के निदेशक प्रो०फिरोज मंसूरी ने कहा की रोहिणी कमेटी की रिपोर्ट भारत में अन्य पिछड़ा वर्ग के भीतर उप-वर्गीकरण से संबंधित है। इसे 2017 में केंद्र सरकार ने न्यायमूर्ति जी. रोहिणी की अध्यक्षता में गठित किया था। इसका उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण का समान और न्यायसंगत वितरण सुनिश्चित करना। उन्होंने कहा की रोहिणी कमिटि के गठन का मुख्य उद्देश्य अन्य पिछड़ा वर्ग को आरक्षण के भीतर उप-वर्गीकरण करना यह देखने के लिए कि क्या कुछ जातियाँ आरक्षण का अधिक लाभ उठा रही हैं और बाकी पीछे छूट रही हैं 50% आरक्षण सीमा के भीतर अधिक न्यायसंगत बँटवारा करना। उन्होंने कहा की अन्य पिछड़ा वर्ग की केंद्रीय सूची का विश्लेषण करना और यह देखना कि किन समुदायों को कितना लाभ मिला।प्रो० फिरोज मंसूरी ने कहा की रिपोर्ट में सुझाव दिया गया कि अन्य पिछड़ा को तीन या चार उप-वर्गों में बाँटा जाए ताकि कमजोर वर्गों को भी आरक्षण का लाभ मिल सके।
यह पाया गया कि कुछ जातियाँ अन्य पिछड़ा वर्ग आरक्षण का बड़ा हिस्सा ले रही हैं जबकि कई जातियाँ इससे वंचित हैं।कमेटी ने डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए विभिन्न राज्यों से जानकारी ली और केंद्र सरकार के अन्य पिछड़ा वर्ग सूची का अध्ययन किया। पसमांदा मुस्लिम समाज एवं अन्य अति पिछड़ा वर्ग संगठन के आन्दोलन उपरान्त यह रिपोर्ट कई बार विस्तार के बाद 2023 में केन्द्र सरकार को सौंपी दी गयी लेकिन अब तक सरकार ने इसे सार्वजनिक नहीं किया गया।प्रो०फिरोज मंसूरी ने कहा की केन्द्र की मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने की साहसिक घोषणा से पसमांदा अतिपिछडा वर्ग काफी उत्साहित है।उन्होंने कहा की अगर जाति जनगणना से पूर्व रोहिणी कमिटी की रिपोर्ट लागू कर दी जाती है तो यह नितीश मोदी सरकार का मास्टर स्ट्रोक कहलायेगा।
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