Madhepura:गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर आजाद पुस्तकालय द्वारा संविधान के पचहत्तर साल पूरा होने पर जिला मुख्यालय में संविधान सभा के अध्यक्ष डॉ राजेंद्र प्रसाद,ड्राफ्टिंग कमिटी के चेयरमैन डॉ आंबेडकर,पंद्रह महिला सदस्यों, कमलेश्वरी प्रसाद यादव सहित संविधान बनाने वाले अन्य सभी सदस्यों को याद करते हुए नमन किया।आजाद पुस्तकालय के संरक्षक पूर्व कुलसचिव प्रो शचींद्र महतो की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में तिलकामांझी विश्वविद्यालय ,भागलपुर के पूर्व प्रति कुलपति प्रो के के मंडल ने कहा कि भारत का संविधान पचहत्तर साल का सफर पूरा कर प्लैटिनम जयंती वर्ष में है यह हर भारत वासी के लिए गौरव का पल है।भारतीय संविधान का सफर उतार चढ़ाव के साथ विभिन्न प्रकार के झंझावतों को झेलते हुए अपनी उपयोगिता को सार्थक बनाए रखने और भविष्य के लिए और उपयोगी होने का प्रमाण रहा।संविधान बनाने में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग करने वाले हर कोई धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने पूरी तरह से जीर्णशीर्ण बिखरे आजाद भारत को वो पूंजी सौंपी जिसके सहारे भारत आज निरंतर विभिन्न समस्याओं के बाद भी विश्व पटल पर अपनी मजबूत पकड़ बना आगे बढ़ रहा है।भारतीय संविधान के पचहत्तर साल ऐतिहासिक गौरव का भान करा रहा है।
इस अवसर पर अपने संबोधन में भारतीय पिछड़ा शोषित संगठन, नई दिल्ली के संस्थापक,चर्चित वक्ता चंद्रशेखर ने कहा कि भारत के संविधान ने अपने सात दशक से अधिक के सफर में समय समय पर यह साबित किया कि यह दबे कुचले और समाज के हर अंतिम पायदान के लोगों के लिए सुरक्षा कवच है।जब जब सिस्टम बेलगाम हुई तब तब संविधान ने नकेल कसने का काम किया है।भारतीय संविधान आज हर भारतवाशी की स्वाशं नली बन चुकी है इसको सुरक्षित और संवर्धित करना हर भारतवासी का कर्तव्य है।
विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को संविधान दे रहा निखार:माध्यमिक शिक्षक संघ कोसी प्रमंडल के प्रमंडलीय अध्यक्ष परमेश्वरी यादव ने कहा कि आज संविधान बनने और आजादी के सात दशक बाद जब हम मूल्यांकन कर रहे हैं तो पाते हैं कि अपने सफर में संविधान ने विधायिका,कार्यपालिका और न्यायपालिका को निखारने का काम किया है जिससे आज भारत वैश्विक पटल पर लोकतांत्रिक व्यवस्था का आदर्श स्थापित कर रहा है।अपने अध्यक्षीय संबोधन में पूर्व कुलसचिव प्रो शचींद्र महतो ने कहा कि 75 साल का हो चुका भारतीय संविधान दुनिया का सबसे लंबा लिखित संविधान है जिसमें नागरिकों के अधिकार, कर्तव्य और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक प्रावधान शामिल हैं. इस पूरी यात्रा में संविधान में 100 से अधिक बार संशोधन हुए हैं.
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संविधान के अलग-अलग प्रावधान देश में समय-समय पर चर्चा का विषय बनते रहे हैं. इसमें सामाजिक न्याय, शिक्षा, जागरूकता, आर्थिक विकास, धार्मिक स्वतंत्रता, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता जैसे विषय इसके जीवंत सफर के प्रमाण हैं।कार्यक्रम का संचालन करते आजाद पुस्तकालय के सचिव हर्ष वर्धन सिंह राठौर ने कहा कि भारत का संविधान हर भारतवासी का वो ग्रन्थ है जो उसकी भूमिका कर्तव्य,अधिकार का बोध ही नहीं कराता बल्कि समय के साथ खुद को स्थापित कर हर दौर में उपयोगी बना हुआ है।संविधान के पचहत्तर साल पूरे होने पर संविधान निर्माताओं को याद करना परम कर्तव्य है।मधेपुरा को गौरव है कि संविधान बनाने में इस धरती के अनमोल रत्न कमीश्वरी प्रसाद मंडल ने भी अहम भूमिका निभाई थी।इस मौके पर सबों ने कहा कि संविधान को बचाना और बरकरार रखना हर देशवासी का कर्तव्य है।