madhepura:बी.एन.मंडल विश्वविद्यालय में पोस्ट ग्रेजुएशन (P.G.) पाठ्यक्रमों में सीमित सीटों के कारण हजारों योग्य छात्र–छात्राओं के नामांकन से वंचित होने के विरोध में आज छात्र संगठनों द्वारा छात्र कल्याण पदाधिकारी (DSW) को ज्ञापन सौंपा गया।
एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार के नेतृत्व में दिए गए इस ज्ञापन में विश्वविद्यालय के सभी संकायों के मुख्य विषयों में सीटों की संख्या बढ़ाने की मांग की गई। ज्ञापन में कहा गया कि सीटों की कमी से न केवल विद्यार्थियों का शैक्षणिक भविष्य प्रभावित हो रहा है, बल्कि कोसी क्षेत्र में उच्च शिक्षा के विकास में भी गंभीर बाधा उत्पन्न हो रही है।
*ग्रेजुएशन में प्रति वर्ष तीस हजार उत्तीर्ण होता है जिसमें मात्र पांच हजार छात्र का ही पीजी में नामांकन हो पाता है*
एनएसयूआई के पूर्व राष्ट्रीय संयोजक मनीष कुमार ने कहा कि ग्रेजुएशन में प्रति वर्ष तीस हजार छात्र उत्तीर्ण होता है जिसमें इक्यावन सौ पीजी में सीट है पांच हजार छात्र का ही पीजी में नामांकन हो पाता है बाकी छात्र स्नातकोत्तर की पढ़ाई के लिए साल दर साल उम्मीद लगाए बैठे रहता है किंतु प्रत्येक साल सीट न रहने के कारण बड़ी संख्या में छात्र पीजी में नामांकन से वंचित हो जाता है कई विषय में तो पीजी की संपूर्ण विश्वविद्यालय में एक या दो जगह ही होता है और छात्रों की संख्या अत्यधिक होने के कारण छात्र नामांकन से वंचित हो जाता है |
*प्रथम श्रेणी के उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले ही पीजी में नामांकन में हो पाता हैं सफल*
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इस अवसर पर आइसा छात्र संगठन के विश्वविद्यालय अध्यक्ष अरमान अली ने कहा कि मेधासूची के आधार पर पीजी में नामांकन होती है ग्रेजुएशन में प्रथम श्रेणी में उच्चतम अंक प्राप्त करने वाले छात्र ही ग की पढ़ाई कर पाता है जबकि प्रथम श्रेणी के आधे से ज्यादा छात्र नामांकन से वंचित रहता है वही द्वितीय और तृतीय श्रेणी से ग्रेजुएशन पास छात्रों का पोस्ट ग्रेजुएट करना सपना ही रह जाता है अरमान अली ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन यदि शीघ्र सकारात्मक निर्णय नहीं लेता है तो छात्र हित में आगे आंदोलनात्मक कदम उठाने पर विचार किया जाएगा।
*विश्वविद्यालय प्रशासन से सकारात्मक पहल की मांग*
पूर्व के दिनों में मेल के माध्यम से भी कुलपति को पीजी में सीट बढ़ाने हेतु ज्ञापन दी गई है वही आज विश्वविद्यालय मुख्यालय में कुलपति की उपस्थिति नहीं होने के कारण छात्र कल्याण पदाधिकारी डॉ प्रोफेसर अशोक कुमार को ज्ञापन देकर साकारात्मक पहल की उम्मीद और आशा व्यक्त की गई कि वे इस गंभीर समस्या पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार एवं विश्वविद्यालय प्रशासन के स्तर पर आवश्यक पहल करेंगे, ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थियों को पी.जी. स्तर पर नामांकन का अवसर मिल सके।
