Madhepura:”डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जयंती — प्रेरणा, शिक्षा और समानता का प्रतीक”आज पूरा देश “भारत रत्न” डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम की जयंती (15 अक्टूबर) को राष्ट्रीय छात्र दिवस के रूप में मना रहा है।
इस अवसर पर प्रो. फिरोज मंसूरी, राष्ट्रीय संयोजक, पसमांदा मुस्लिम समाज सह निदेशक पी एम डी आर एफ ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि —
“डॉ. कलाम साहब केवल एक वैज्ञानिक या राष्ट्रपति नहीं थे, बल्कि वे भारत के हर उस बच्चे के लिए प्रेरणा थे, जो गरीबी, पिछड़ेपन और सीमित साधनों के बावजूद बड़ा सपना देखने की हिम्मत रखता है। उन्होंने यह सिद्ध किया कि ईमानदारी, मेहनत और शिक्षा के बल पर कोई भी व्यक्ति राष्ट्र का गौरव बन सकता है।”
प्रोफेसर मंसूरी ने कहा कि डॉ. कलाम का जीवन पसमांदा समाज के लिए एक जीवंत उदाहरण है कि अवसर और शिक्षा मिल जाए, तो सामाजिक या आर्थिक पिछड़ापन किसी की प्रगति में बाधा नहीं बन सकता।
उन्होंने कहा कि आज जब देश में समानता और सामाजिक न्याय की बातें हो रही हैं, तब डॉ. कलाम की सोच — “विज्ञान, शिक्षा और इंसाफ से समाज का उत्थान” — और भी प्रासंगिक हो गई है।
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“डॉ. कलाम साहब की तरह हमें भी अपनी अगली पीढ़ी को शिक्षा से सशक्त बनाना होगा। यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि पसमांदा और अति पिछड़े वर्ग के बच्चे शिक्षा, तकनीकी ज्ञान और आत्मविश्वास से आगे बढ़ें।”
प्रोफेसर मंसूरी ने सभी समाजसेवियों, शिक्षकों और युवाओं से आह्वान किया कि वे डॉ. कलाम की जयंती को केवल एक स्मृति दिवस के रूप में नहीं, बल्कि “शिक्षा, समान अवसर और राष्ट्र निर्माण के संकल्प दिवस” के रूप में मनाएँ।
प्रोफेसर डॉ. फिरोज मंसूरी,राष्ट्रीय संयोजक, पसमांदा मुस्लिम समाज,ईमेल: pmdrfindia@gmail.com,संपर्क: —9122719401