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Madhepura News: लगातार मौसम में परिवर्तन बढ़ती हुई गर्मी बाढ़ और सुनामी जैसी समस्या मानव के लिए चुनौती : (डॉ.)अशोक कुमार

Prashant Singh
Prashant Singh  - Editor
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Madhepura News: बीएनएमयू अंगीभूत इकाई पार्वती विज्ञान महाविद्यालय, मधेपुरा में 29 एवं 30 मई 2024 को दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ आज किया गया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटनकर्ता सह प्रधान संरक्षक भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय,मधेपुरा के कुलपति प्रो. (डॉ.) विमलेंदु शेखर झा के द्वारा सर्वप्रथम महाविद्यालय स्थित कीर्ति बाबू, बाबू ठाकुर प्रसाद मंडल एवं माता पार्वती देवी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। भूपेंद्र बाबू की जयंती पर महाविद्यालय में भूपेंद्र बाबू के तेल चित्र पर माल्यार्पण और पुष्पांजलि करने के पश्चात उन्होंने राष्ट्रीय संगोष्ठी का दीप प्रज्ज्वलन कर विधिवत उद्घाटन किया। महाविद्यालय के प्रधानाचार्य प्रो. (डॉ.)अशोक कुमार ने माननीय कुलपति महोदय प्रो.(डॉ.) विमलेंदु शेखर झा, कुलानुशासक डॉ. बी एन विवेका, अध्यक्ष छात्र कल्याण प्रो.(डॉ.) नवीन कुमार, विषय विशेषज्ञ प्रो. (डॉ.) ओमप्रकाश भारती, डॉ.सुनील कुमार सिंह, प्रो.(डॉ.) राजेंद्र यादव, डॉ. अमित विश्वकर्मा को पाग,शाल, पौधा और  पुष्पगुच्छ  देकर स्वागत किया। आगत अतिथियों का स्वागत संगीत विभागध्यक्षा रीता कुमारी के द्वारा स्वागत गीत एवं कुल गीत प्रस्तुत किया गया। जलवायु परिवर्तन : अतीत वर्तमान और भविष्य विषय पर आधारित स्मारिका का विमोचन माननीय कुलपति महोदय के द्वारा किया गया। प्रधानचार्य प्रो. (डॉ.)अशोक कुमार ने सभी अतिथियों आयोजन समिति के सदस्यों, प्राध्यापकों, शिक्षण कर्मियों और शोधार्थी छात्र-छात्राओं को इस राष्ट्रीय संगोष्ठी में अपना अमूल्य समय देखकर वर्तमान की वैश्विक समस्या जलवायु परिवर्तन पर विचार प्रस्तुत करने के लिए हार्दिक स्वागत और अभिनंदन किया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन को विश्व की सबसे गंभीर समस्या बताते हुए कहा कि वैश्विक स्तर पर जलवायु परिवर्तन एक गंभीर समस्या बनी हुई है। लगातार मौसम में परिवर्तन बढ़ती हुई गर्मी बाढ़ और सुनामी जैसी समस्या मानव के लिए चुनौती बनकर उभरी है। इन चुनौतियों के लिए वैश्विक स्तर पर पूंजीवादी और विकसित राष्ट्र योजनाएं बनाते हैं, सैद्धांतिक रूप से सहमति भी प्रकट करते हैं लेकिन अमल करने की स्थिति आने पर वह विपरीत आचरण प्रकट करते हैं। ऐसे में हम विकासशील राष्ट्र के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य है कि जलवायु परिवर्तन की समस्या जो प्रकृति निर्मित कम मानव निर्मित अधिक है । उस पर विचार करें और समाधान हेतु अपना बौद्धिक एवं शारीरिक सहयोग प्रदान करें तभी जाकर के इस समस्या का  निदान संभव है। अंतर्राष्ट्रीय महात्मा गांधी विश्वविद्यालय,वर्धा, महाराष्ट्र के आचार्य प्रो. (डॉ.) ओमप्रकाश भारती ने जलवायु परिवर्तन को प्रकृति और मानव निर्मित बताते हुए इसके संदर्भ में विशेष रूप से नदियों के प्रति संवेदनशील होने के लिए प्रेरित किया उन्होंने कहा जो नदियां हमारे लिए वरदान है उन्हें हमने अभिशाप बनाकर रख दिया। और समय के साथ सामाजिक दायित्व बोध नदियों के प्रति घटता गया और जीवन देने वाली नदियों को उपेक्षित बना दिया गया। भिन्न-भिन्न प्रकार की सरकारी योजनाओं के माध्यम से नदियों पर इस प्रकार आघात किया गया कि आज भारत की 400 से अधिक नदियां विलुप्त होने के कगार पर हैं ।जलवायु परिवर्तन प्रकृति प्रदत्त कम मानव निर्मित ज्यादा है। अंतरराष्ट्रीय संगठन क्लाइमेट रिस्क समूह के द्वारा 2050 में 200 से 114 जोखिम वाले राज्य एशिया के ही हैं जिस में भारत और चीन के राज्य सबसे अधिक हैं । भारत के अति संवेदनशील 50 जिलों में बिहार के 14 जिले मानवीय गतिविधियां और जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण रहे ।पृथ्वी पर जीवन बचाए रखने के लिए और पृथ्वी को स्वस्थ रखने के लिए विश्व के सभी देश एकजुट होकर पूरे ईमानदारी के साथ काम करें और जंगल,जमीन,नदी एवं हवा को स्वस्थ रखने के लिए सार्थक प्रयास करें तभी हमारी पृथ्वी और पृथ्वी पर बसे हुए हम मानव का जीवन सुरक्षित हो सकेगा। माननीय कुलपति ने दो दिवस  राष्ट्रीय संगोष्ठी आयोजित करने के लिए महाविद्यालय परिवार को अपनी शुभकामनाएं दी परंतु उन्होंने आश्चर्य प्रकट करते हुए कहा कि इसे दो दिवसीय  राष्ट्रीय संगोष्ठी में आकर में आश्वस्त  था कि एक नई शैक्षणिक अध्याय महाविद्यालय परिसर में शुरू होगा, लेकिन राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञ के नहीं होने पर उन्होंने इस  संगोष्ठी को राष्ट्रीय संगोष्ठी होना समीचीन नहीं बताया। स्मारिका में भी राष्ट्रीय स्तर के विषय विशेषज्ञ या शोधार्थियों का आलेख प्रकाशित नहीं होने पर उन्होंने इसे राष्ट्रीय या राज्य स्तरीय संगोष्ठी न कह कर विशेष आख्यान के रूप में इस कार्यक्रम को आयोजित होना ही श्रेष्ठ बतलाया। उन्होंने सभागार स्थानीय लोगों और छात्रों से ही भरा होने पर भविष्य में नेक संबंधी कार्यों में इस संगोष्ठी की महत्व को कमतर बतलाया । उन्होंने महाविद्यालय परिवार से विश्वविद्यालय के प्रशासनिक स्तर से पूरी मदद करने की बात करते हुए कहा की महाविद्यालय परिसर में एक बड़ा शैक्षणिक परिसर हो जो पूर्णत: वातानुकूलित और डिजिटल हो। जिससे हमारे महाविद्यालय के छात्र-छात्रा राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होने वाले सेमिनार एवं विद्वानों के व्याख्यान को सुनें, समझे और सीख कर अपने ज्ञान में वृद्धि करें और शोध के कार्य में अभिरुचि लें।जलवायु परिवर्तन जैसे वैश्विक समस्या पर उन्होंने विशेष रूप से प्रकाश डालते हुए कहा की जब तक मानव स्वयं सशक्त रूप से इस समस्या के समाधान के लिए जागरूक नहीं होगा तब तक जलवायु परिवर्तन में सुधार होना असंभव है । उन्होंने माना कि बढ़ती हुई जनसंख्या और लोगों की सुविधा जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ा कारण है।आधुनिक जीवन शैली हमें अधिक से अधिक सुख सुविधा की ओर जीने के लिए प्रेरित करती है जो जलवायु परिवर्तन में सबसे अहम भूमिका निभाती है । वृक्षों की कटाई, कागजों और प्लास्टिक का आधिकाधिक प्रयोग और वाहनों का प्रयोग कर हम जलवायु को पूर्ण रूप से प्रदूषित कर रहे हैं। अधिक से अधिक रासायनिक खादों का प्रयोग कर हम अपनी मिट्टी को अस्वस्थ बना रहे हैं। जिससे कैंसर जैसी बीमारियां जन्म ले रही है और मानव का निरंतर विनाश हो रहा है। जब तक हम अपनी जीवन शैली में सुधार नहीं करते तब तक जलवायु परिवर्तन में सुधार की अपेक्षा करना व्यर्थ है। इस कार्यक्रम में महाविद्यालय के सभी विभागों के विभागाध्यक्ष, प्राध्यापकगण, शिक्षण कर्मी एवं सभी संकायों के छात्र-छात्रा उपस्थित थे ।इस कार्यक्रम के आयोजन समिति के संयोजक डॉ. राजेश कुमार सिंह, सचिव डॉ. सुधांशु शेखर, कार्यकारी सचिव डॉ. सुमेध आनंद, डॉ.संतोष कुमार थे ।  दो दिवसीय संगोष्ठी में में मंच संचालन आयोजन समिति के कार्यकारी सचिव डॉ. मो. सरफराज आलम ने किया।

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